Add To collaction

मन की बात

मन की बात
तेरा-मेरा बहुत हो गया,
अब मन की कुछ बात करें।
करुणा रूपी बादल बनकर,
प्रेम-नीर-बरसात करें।।

रक्तपात का दौर चल गया,
गए भूल हम अपनापन।
लुका-छुपी के घृणित खेल से,
सूना करते घर-आँगन।
अपनी सीमा लाँघ-लाँघ कर,
निकट देश सँग घात करें।।
      करुणा रूपी बादल..........।।

निरपराध बच्चों को मारें,
मारें चुन-चुन नारी को।
धर्म-कर्म का अर्थ न समझें,
मानें अत्याचारी को।
नींद चुराकर मानवता की,
दर्द भरी हर रात करें।।
       करुणा रूपी बादल.........।।

शक्तिप्रदर्शन - वाह्याडंबर,
दोनों घातक-मारक हैं।
करें लोप ये शुद्ध बुद्धि का,
पूर्ण नाश के कारक हैं।
पुनः न पनपे दुष्प्रवृत्ति यह,
ऐसी अब शुरुआत करें।।
     करुणा रूपी बादल..........।।

विमल सोच का दीप जलाकर,
करें प्रकाशित तम-पथ को।
भ्रमित मार्ग पर थमे हुए अब,
दे दें गति जीवन-रथ को।
वक्त आ गया अब जन-जन को,
नव चिंतन-निष्णात करें।।
      करुणा रूपी बादल बनकर,
      प्रेम-नीर-बरसात करें।।
            ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
             9919446372

   6
2 Comments

Mohammed urooj khan

16-Oct-2023 01:10 AM

👌👌👌🙏🙏

Reply

zoom gaming

14-Oct-2023 07:03 PM

👍🏻

Reply